वर्टिगो क्या होता है

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चक्कर आने के कारण :
पहले तो हम बात करेंगे की हर चक्कर वर्टिगो नहीं होता चक्कर आने के बहुत से करना होते , जब तक आप डॉक्टर से सलाह ना ले तब तक आप किसी मुद्दे तक ना पहुंचे और भरम ना पाले की हमें ये रोग हो गया है |
ऐसे ही टॉपिक्स पर बात करेंगे की आखिर वर्टिगो होता क्या है और किस बजह से होता है करना क्या होते है और इसका इलाज |
1 .कई बार महिला प्रेग्नेंसी होती है तो उस स्थिति मैं भी चक्कर आते है नॉजिया की महसूस होता है
2 . हार्मोन्स के बदलाव के कारण भी ऐसा  होता है
3 . नींद पूरी ना होने के करना भी  आते है और नॉजिया महसूस  होता है |
4. बल्ड प्रेसर मैं खून की सप्लाई सही से शरीर ना होना भी इसका करना है |
5 . हाई केलोस्ट्रोल के करना भी ऐसा होता है
6. एनीमिया के करना भी ऐसा होता है
7 . नशे की लत के करना भी
8. कैल्शियम डिसऑडर के करना भी


वर्टिगो क्या होता है "

वर्टिगो  का मतलब होता है  सिर चकारना :
हम बात करेंगे वर्टिगो के बारे मैं , वर्टिगो के लक्षण होते है सिर चकारना ,सिर मैं दर्द होना , मरीज को ऐसा महसूस होता है की वातावरण गुम रहा है और उल्टी  सा  महसूस होता है इस बीमारी से रोगी  बहुत से समस्या का सामना करना पड़ता है जैसे किचन मैं काम करना , सीढ़ियों से चढ़ना उतरना, अंधेरे मैं चलना , डाराविंग  और भारी मशीनो पर काम करना खरनाक साबित हो सकता है !
काम काजी लोगो को अक्सर सिर घूमने की प्रॉब्लम होती है लेकिन लोग उसको हल्के मैं लेते है और बाते करते है , सुबह कुछ खाया नहीं था इसलिए चक्कर आ रहे है रात को कुछ उल्टा सीधा खा लिया था ,या सही से सोया नहीं था ये सोचते है |
जबकि बार बार चक्कर आये , सिर मैं दर्द हमेशा रहे  तो हो सकता हो ये वर्टिगो हो. लेटिन भाषा मैं इसे  चक्कर आना कहते है

वर्टिगो के कारण : 
1. अंदुरनी कान के बिकार के करना भी होता है जैसे माइग्रेन रोग, वेस्टिबुलर तंत्रिका मैं सूजन,
2. सिर मैं मामूली या गंभीर चोट आना
3. लम्बे समय तक बिस्तर पर रहना भी इसका कारण हो सकता है

वर्टिगो के प्रकार :
1. बिनायन पैरॉक्सीस्मॉल पोजिशनल वर्टिगो (बीपीपीवी)  :
इनर कान मैं मैल जमा हो जाने पर होता है इसमें कान मैं गंटी जैसी  आवाज  महसूस होता है , जायदा चलने पर बहरे भी  सकते है इस रोग मैं जो भी दवाई चलती है उस्को बिना डॉक्टर के सलाह के बिना नहीं बंद करना चाहिए ये दवाइया लम्बे टाइम तक चलती है , दवाई दोष\डॉक्टर के सलाह पर ही बंद करना चाहिए नहीं तो ये रोग दुबारा होने  चांस होते है |

2. मिनियर रोग : 
इस रोग मैं कान मैं गंटिया बजती है और कान मैं दबाव , प्रेसेर सा महसूस होता है इसका करना कान मैं जब फ्लुएड जायदा जामा हो जाता है इसे से कान मैं सुनने का बैलेंस गड़बड़ हो जाता है और कई बार तो सर्जेरी की नौबत आ जाती है 

3.वायरल लेबिरिनथाइटिस : 
मस्तिष्क और कानों के तार एक दूसरे जुड़े रहते है  नर्व्स के जरिये और कॉकलियर नव्र्स आवाज और शब्द सूचना मस्तिष्क  तक भेजने हैं और वेस्टबुलर नर्व्स उस संदेश के अनुसार शारीरिक का बैलंस बनाती है वायरल इंफेक्शन के कारण यदि इन दोनों के काम मैं  गड़बड़ हो जाता है तो वर्टिगो होने की संभावना बड़ जाती है 
4. वेस्टीबुलर न्यूरोनिटिस :
वेस्टाबुलर नर्व में सूजन आने के  कारण होता है। ये जो संदेश को ब्रेन तक पहुँचती है जब ये गड़बड़ा जाये तो हीयरिंग लॉस नहीं होता, न ही कानों में सुगबुगाहट और घंटियां सुनाई देती हैं।






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